life With perhaps
“Perhaps Not, Perhaps Yes”
#PERHAPS #SUCCESS #CERTAINTY


‘शायद’ शब्द का प्रयोग हम दो तरह से करते है पहला अपनी वर्तमान स्थिति के लिए और दूसरा अपने भूतकाल में हुई घटनाओं के लिए ! जैसे कि
1.’शायद’ मुझे यह नौकरी नहीं करनी चाहिए!
2.’शायद’ मैंने यह निर्णय ग़लत ले लिया!
3.अगर मैंने स्कूल में मेहनत कर ली होती तो ‘शायद’ आज मुझे एक अच्छी नौकरी मिल जाती !
4.अगर मैं, शुरुआत के दिनों में ही, जब मेरा मोटापा बढ़ रहा था अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देता तो ‘शायद’ मैं भी स्वस्थ और फिट होता !
5.अगर घरवालों और दोस्तों की बात मानकर मैं गाड़ी धीमे चलाता तो ‘शायद’ मेरा एक्सीडेंट ना होता!
6.अगर मैं धूम्रपान न करता तो ‘शायद’ आज मुझे कैंसर नहीं होता
7.अगर मैंने भी शुरुआत से पैसे की बचत की होती तो ‘शायद’ मैं भी आज अमीर होता !
8.अगर मैंने भी अपनी young age में कोई बिज़नेस कर लिया होता तो ‘शायद’ मुझे आज नौकरी नहीं करनी पड़ती !
क्या आपने सोचा है ये ‘शायद’ शब्द आया कहाँ से है दोस्तों
‘शायद’ शब्द जन्म तब लेता है जब हमे मालूम होता है कि हमारे पास दो या दो से ज़्यादा रास्ते है तो हम किसी एक रास्ते को चुनते समय भी इसका प्रयोग करते हैं और जब परिणाम हमारी इच्छा अनुसार नहीं आते और हम निराश हो जाते है तब भी हम इसका प्रयोग करते है !
पहले हम बात करते है वर्तमान स्थिति के बारे में ।
हम लोग जब कोई काम शुरू करते है तो हमारे पास दो विकल्प होते है या तो हम वो काम करते रहें या फिर उसे छोड़ दे ।
चलिए हम थोड़ा और विस्तार से इसे समझते है और इसका उपयोग अपनी ज़िंदगी में कैसे कर सकते है उस पर भी ध्यान देंगे । इस दुनिया में दो तरह के लोग होते है पहले वो जो कोई काम शुरू करते है और थोड़े समय बाद उसे छोड़ देते है ! उसका कारण कोई भी हो जैसे उनका उस काम में मन नहीं लगा या फिर जिस लक्ष्य के लिए उन्होंने वो काम शुरू किया था वह लक्ष्य उन्हें प्राप्त नहीं हुआ ! दूसरे तरह के वो लोग होते है जो एक काम को पूरी शिद्दत के साथ करते है जब तक कि उसमे सफलता हासिल नहीं कर लेते ! हम अपने चारों तरफ़ कितने लोगो को देखते है जिसने कोई नया बिज़नेस शुरू किया और फिर उस बिज़नेस से इतना फ़ायदा नहीं हुआ या फिर घाटा हो गया और तुरंत वह बिज़नेस को छोड़ देते है! आप यक़ीन मानिए ज़िंदगी के एक मोड़ पे आके उनको यह अहसास ज़रूर होता है कि अगर हमने वो बिज़नेस नहीं छोड़ा होता और उसमे लगे रहते तो शायद कामयाब हो जाते !
इस दुनिया में पहले तरह के लोग ज़्यादा है ! वो किसी भी काम को पूरी शिद्दत के साथ नहीं करते! ‘शायद’ शब्द उनकी ज़िंदगी में अहम भूमिका निभाता है! जैसे ही वो कोई काम शुरू करते है उनके मन में तरह तरह के ख़याल आने लगते हैं जैसे की मैंने कोई ग़लत निर्णय तो नहीं ले लिया, मैं इसको छोड़ देता हूँ और किसी अन्य अवसर की तलाश करता हूँ या फिर मुझे जो लक्ष्य हासिल करना था वह हासिल नहीं हुआ ! ऐसे ही बहुत सारे कारण उनके दिमाग़ में आते है और वो अपने लक्ष्य से भटक जाते है !
अब हम बात करते है भूतकाल में हुई घटनाओं के बारे में !
जब हम दो विकल्पों में से किसी एक को चुनते हैं और फिर हमारी इच्छानुसार निर्णय नहीं मिलता, हम निराश हो जाते है तब इसका प्रयोग करते है !
जैसे कि हम जानते है कि स्कूल में अच्छे से पढ़ाई करने से हमे नौकरी मिल सकती थी फिर भी हम भी नहीं पढ़े, धूम्रपान करने से कैंसर होता है फिर भी हम लगातार करते रहे, बचत करना ज़रूरी है फिर भी हमने नहीं की, गाड़ी धीमी गति से चलानी चाहिए फिर भी हमने तेज गति से ही चलायी!
तो क्या इसका मतलब यह है कि हम ख़ुद जानबूझकर दूसरे रास्तों को चुनते हैं जिससे बाद में हमे निराश होना पड़े!
आप समझ गये होंगे कि ‘शायद’ शब्द का हमारी निराशा से सीधा संबंध होता है क्योंकि बात चाहे वर्तमान की हो या भूतकाल की शायद शब्द से हमेशा नुक़सान ही होता है ! शायद शब्द से वर्तमान में हम अपने फ़ैसले पर शक करते है और भूतकाल में जब कोई फ़ैसला ग़लत लिया होता है तब हम इसका प्रयोग करते है ! तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर हम शायद शब्द को अपनी ज़िंदगी से हटा दें तो बहुत कम संभावना है कि हमे निराश होना पड़ेगा !
‘शायद’ शब्द को अपनी ज़िंदगी से कैसे हटाये
आत्मविश्वास बनाए - आपको अपने आप का मूल्यांकन करना होगा और अपनी क्षमताओं पर विश्वास बनाये रखना होगा !
लक्ष्य निर्धारित - आपका लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए और साथ की साथ आपको ये भी निर्धारित करना होगा कि उस लक्ष्य तक पहुँचने में आपको कितना समय लगेगा और ध्यान रहे कि समय हमेशा कम से कम निर्धारित हो क्योंकि बिना समय निर्धारित किए आप अपना 100 % नहीं दे सकते !
जोखिम लेने की क्षमता बढ़ाना - आपको हमेशा जोखिम लेने के लिए तैयार रहना होगा ! आपके जीवन में अनेक तरह की मुसीबतें आती रहेगी ! उन मुसीबतों के सामने आपको हारना नहीं है !


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